HANUMAN CHALISA SECRETS

hanuman chalisa Secrets

hanuman chalisa Secrets

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Among the Hindus throughout the world, It is just a very popular belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave troubles.

सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।

कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी

Anjana provides start to Hanuman inside of a forest cave, following getting banished by her in-legislation. Her maternal uncle rescues her within the forest; although boarding his vimana, Anjana accidentally drops her child on a rock. Nonetheless, the child stays uninjured whilst the rock is shattered. The child is lifted in Hanuruha, As a result acquiring the identify "Hanuman."

सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥

Victory to Lord Hanuman, the ocean of knowledge and advantage. Victory on the Lord who is supreme among the monkeys, illuminator on the a few worlds.

They arrest Hanuman, and less than Ravana's orders choose him to some community execution. There, Ravana's guards get more info started his torture by tying his tail with oiled fabric and location it on fireplace. Hanuman then leaps from one particular palace rooftop to another, burning every little thing down in the process.[sixty two]

भावार्थ – जो इस (हनुमान चालीसा) का सौ बार पाठ करता है, वह सारे बन्धनों और कष्टों से छुटकारा पा जाता है और उसे महान् सुख (परमपद–लाभ) की प्राप्ति होती है।

भावार्थ – आपके हाथ में वज्र (वज्र के समान कठोर गदा) और (धर्म का प्रतीक) ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित है।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

दक्षिण भारत की प्रदिद्ध बाल गायिका सूर्यगायत्री के मुख से हनुमान चालीसा पाठ

व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।

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